Monday 29 December 2014

Depression

When you loose your patience in any situation then frustration pops up now frustration leads you to aggression and with aggression irritation starts in mind about the person or situations. Finally you caught up in cycle of frustration aggression and irritation. This is called depression. Depression is worrying  about your past situation  So keep your mind in present moment have patience and through away depression 

Tuesday 23 December 2014

धर्म

धर्म भीतर की आध्यात्मिक ता को थाम के रखता है । धर्म एक ही होता है पर संप्रदाय कइ होते है । हर संप्रदाय अलग अलग भौगोलिक परिस्थिति के आधार पर मानव समाज के हीतो की रक्षा के लीए बनाए जाते है । पर संप्रदाय के और समाज के रक्षक ही उसके भक्षक बन गए है । समाज सुधारक के रुप में आज के नेता उसके ठेकेदार बन गए है ।  पैसा,सत्ता और ताक़त के जोर पर नेता संप्रदायों के कमज़ोर वर्गों को लालच देकर संप्रदाय परीवर्तन करने को मजबूर करते है । जो काम पहले अंग्रेज़ और फीर मुग़ल कीया करते थे आज वह हमारे ही चुनें हुए कुछ नेता करते है । ऐसे भी संप्रदाय अपने भारत देश में है,जो संविधान के तहत मौलिक अधिकार का लाभ जरुर उठाते है पर संविधान के कानुन के डायरे से बाहर है । और ख़ुद के संप्रदाय के कानुन बनाकर चलते है । केवल स्वार्थ ही जीसका धर्म है ऐसे नेता उसकी रक्षा करते आए हैं । मेरा नेताओं से निवेदन है की  संप्रदायों के युध्ध को छोड़ देश के विकास की और ध्यान दे । धर्म अपनी रक्षा करना जानता है और हर युग मैं उसका रक्षक हाजीर रहता है ।

Thursday 17 July 2014

Mother

Unknowingly mother taught us three things:- tolerance,patience, and forgiveness and this are the first steps of spiritual path  

Tuesday 1 July 2014

धार्य ते इती धर्म

जीसने सत्य के मर्म को धारण कीया है वह धर्म है ।   जो कीसी आदर्श पर नहीं टीक पाते वह हर आकर्षण पर गीरते है । केवल धर्म ही है जो हमें धारण करता है और सत्य के मार्ग पर टीकाता है ।

साक्षी भाव

जीवन में कुछ ना कुछ बनने की दौड़ लगी रहती है ।कुछ बन जाने के बाद उसे खोने का डर रहता है । यह जीवन कुछ खोने और कुछ पाने के चक्कर में बीत जाता है । और अपना अहंकार ही कुछ पाने में ख़ुशी देता है और खोने में ग़म देता है ।आत्मा न कुछ खोता है न कुछ पाता है वह तो साक्षी भाव से सबकुछ देखता रहता है । जब हम याने मन रुपी अहंकार इस आत्मरुप के साथ एक हो जाता है तब मन की दौड़ भी शांत हो जाती है ।
जबतक मनरुपी जल में ऊद्वेग रुपी कंकर पड़ते रहेंगे तबतक अपना मन अशांत ही रहेगा । पर जैसे ही जल शांत होता है तब वह बाहर का प्रतीबींब दीखाता है और भीतर भी पारदर्शी रहता है ।

Saturday 28 June 2014

ये अंग तेरा

ये अंग तेरा है,ये संग तेरा है ।ये दीया हुआ रुपरंग भी तेरा है ।सबकुछ तेरा है फीर भी जीवन में अंधेरा है । क्यों की जीवन में अहंकार काबसेरा है । ऐ दोस्त करदे अपने प्रेमरुपि ज्ञान को उजागर फीर देख हर सवेरा भी तेरा है ।

In your heart

I am always there with you in your heart,because I am part of your heart.   You just remember me when ever you need me.    Just close your eyes and listen to your heart, because I am part of your heart.   You love your self as much as you love me because I  part of your heart

Saturday 31 May 2014

Time

The day when you know the value and importance of others time at that time, time evaluet your time 
SPIRITUALITY :-Utility of your spirit for others growth that is spirituality