Thursday, 17 July 2014
Mother
Unknowingly mother taught us three things:- tolerance,patience, and forgiveness and this are the first steps of spiritual path
Tuesday, 1 July 2014
धार्य ते इती धर्म
जीसने सत्य के मर्म को धारण कीया है वह धर्म है । जो कीसी आदर्श पर नहीं टीक पाते वह हर आकर्षण पर गीरते है । केवल धर्म ही है जो हमें धारण करता है और सत्य के मार्ग पर टीकाता है ।
साक्षी भाव
जीवन में कुछ ना कुछ बनने की दौड़ लगी रहती है ।कुछ बन जाने के बाद उसे खोने का डर रहता है । यह जीवन कुछ खोने और कुछ पाने के चक्कर में बीत जाता है । और अपना अहंकार ही कुछ पाने में ख़ुशी देता है और खोने में ग़म देता है ।आत्मा न कुछ खोता है न कुछ पाता है वह तो साक्षी भाव से सबकुछ देखता रहता है । जब हम याने मन रुपी अहंकार इस आत्मरुप के साथ एक हो जाता है तब मन की दौड़ भी शांत हो जाती है ।
जबतक मनरुपी जल में ऊद्वेग रुपी कंकर पड़ते रहेंगे तबतक अपना मन अशांत ही रहेगा । पर जैसे ही जल शांत होता है तब वह बाहर का प्रतीबींब दीखाता है और भीतर भी पारदर्शी रहता है ।
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