जैसे समुद्र में भटकी हुइ दीशाहिन नाव को एक षढ हवा के थपेड़ों को सहते हुए दीशा निर्देश करता रहता है, वैसे ही सत्य के मार्ग से भटके हुए लोगों को षढरुपि संत विपरीत परीस्थितिओ को सहते हुए मार्गदर्शन करता रहता हैं ।
बीना अहंकार दिखाए सब के अहंकार को जो पीसके वही संत कहलाए ।
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