Friday, 21 August 2015

Sant

जैसे समुद्र में भटकी हुइ दीशाहिन नाव को एक षढ हवा के थपेड़ों को सहते हुए दीशा निर्देश करता रहता है, वैसे ही सत्य के मार्ग से भटके हुए लोगों को षढरुपि संत विपरीत परीस्थितिओ को सहते हुए मार्गदर्शन करता रहता हैं ।
बीना अहंकार दिखाए सब के अहंकार को जो पीसके वही संत कहलाए ।

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