Wednesday, 14 August 2013
आझाद भारत
आझाद भारत को फीर आझादी की ज़रूरत हुआ भारत आझाद अंग्रेजों कि हुकुमत से, पर नहीं हुआ आझाद राजनीति की कुटनितीओं से। कानुन बनाया अंग्रेजों ने, अपने हित की रक्षा के लीए, अब राजकारणी बनाते है कानुन अपने हित की रक्षा के लीए।। अशीक्षीत और गंवार समजते है हम मात्रुभाषा के रक्षक को,समजते है उसे शीक्षीत,जो बोलता है अंग्रेजी के चार शब्द को ।। अपने ही देश में गौरांवित होने से डरता हुं, हीन्दभाषी होके खुद हिन्दु बोलने से डरता हुं । नहीं है मुझे सोचने की अाझादी, नहीं है मुझै बोलने की आझादी, फीर भी कहता हुं मैं आझाद हुं ।। आझाद भारत को फीर आझादी की ज़रूरत
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